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अडानी ग्रीन को मिली बड़ी डील, 1799 MW सौर ऊर्जा की करनी होगी सप्लाई, जानिए डिटेल

अडानी ग्रीन एनर्जी ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ एक डील की है। यह डील 1,799 मेगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए हुई है। भारत का साल 2030 तक 500 गीगावॉट (एक गीगावाट 1,000 मेगावाट) ग्रीन फ्यूल कैपेसिटी हासिल करने का लक्ष्य है।

देश की प्रमुख रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी (AGEL) ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) के साथ बिजली खरीद समझौते (PPA) पर हस्ताक्षर किए हैं। 1,799 मेगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए यह डील हुई है। अडानी ग्रीन [read more] एनर्जी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि इस डील पर हस्ताक्षर के साथ ही कंपनी ने 8,000 मेगावाट के विनिर्माण-संबद्ध सौर निविदा के तहत बिजली आपूर्ति का समझौता पूरा कर लिया है। कंपनी को जून, 2020 में सेकी से यह कॉन्ट्रैक्ट मिला था।

2030 तक 500 गीगावॉट ग्रीन फ्यूल कैपेसिटी का टार्गेट

कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमित सिंह ने बयान में कहा, ‘अडानी ग्रीन एनर्जी न केवल देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य की दिशा में, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण में भी योगदान दे रही है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें सबसे बड़े ग्रीन पीपीए को पूरा करने और एक भरोसेमंद ऊर्जा परिदृश्य को साकार करने में खुशी हो रही है। भारत के साल 2030 तक 500 गीगावॉट (एक गीगावाट = 1,000 मेगावाट) ग्रीन फ्यूल कैपेसिटी हासिल करने के लक्ष्य के अनुरूप अडानी ग्रीन 45 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है। यह हमारी मौजूदा परिचालन क्षमता का पांच गुना है।’

मुंद्रा सोलर एनर्जी के गुजरात में हैं प्लांट

कंपनी ने सेकी की विनिर्माण से जुड़ी सौर पीवी निविदा की प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है। इसमें दो गीगावाट क्षमता के पीवी (फोटो वोल्टिक) सेल और मॉड्यूल विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करना शामिल है। अडानी ग्रीन पहले ही अपनी सहयोगी कंपनी मुंद्रा सोलर एनर्जी लिमिटेड (MSEL) के माध्यम से दो गीगावाट सालाना क्षमता वाला एक सौर पीवी सेल और मॉड्यूल विनिर्माण कारखाना चालू कर चुकी है। यह प्लांट गुजरात के मुंद्रा में स्थित है। अडानी ग्रीन के पास अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी अडानी रिन्यूएबल एनर्जी होल्डिंग फोर लिमिटेड के माध्यम से मुंद्रा सोलर एनर्जी लिमिटेड के 26 फीसदी शेयर हैं।

अडानी ग्रीन एनर्जी ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ एक डील की है। यह डील 1,799 मेगावाट सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए हुई है। भारत का साल 2030 तक 500 गीगावॉट (एक गीगावाट 1,000 मेगावाट) ग्रीन फ्यूल कैपेसिटी हासिल करने का लक्ष्य है।

भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है। हालांकि, कोयला आधारित उत्पादन बिजली पारेषण ग्रिड के परिचालन की स्थिरता को सुनिश्चित करता है।

ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत तेजी से ग्रीन एनर्जी की ओर शिफ्ट कर रहा है। भारत में अभी कोयले से मुख्यत: बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन अब भारत अपने ऊर्जा उत्पादन में कोयले का इस्तेमाल कम कर रहा है। देश का लक्ष्य 2030 तक 64 प्रतिशत से अधिक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता हासिल करने का है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है। हालांकि, कोयला आधारित उत्पादन बिजली पारेषण ग्रिड के परिचालन की स्थिरता को सुनिश्चित करता है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के चेयरमैन घनश्याम प्रसाद ने बीसीसीएंडआई पर्यावरण और ऊर्जा सम्मेलन में यहां कहा, ‘‘ यह सच नहीं है कि हम कोयला कम नहीं कर रहे हैं। हम ऊर्जा बदलाव के कारोबार में हैं, लेकिन प्रत्येक उपभोक्ता की ऊर्जा सुरक्षा तथा आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए हमें वाणिज्यिक, घरेलू और औद्योगिक सहित सभी प्रकार के उपभोक्ताओं को बिजली प्रदान करनी है।’’ 

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 423 गीगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है, जिसमें 206 गीगावाट कोयला आधारित और करीब सात गीगावाट लिग्नाइट आधारित क्षमता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत पहले से ही 45 प्रतिशत (गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता) पर है और उसके लिए 50 प्रतिशत (ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा) तक पहुंचना कोई चुनौती नहीं है। देश ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता का 64 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य रखा है।

Rooftop Installation: भारत में सोलर एनर्जी को तेजी से बल मिल रहा है। रूफटॉप इंस्टॉलेशन में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है।

Solar Energy Era: भारत की दिग्गज रूफटॉप सोलर ईपीसी कंपनियों में से एक हरटेक सोलर ने CY 2022 में MERCOM इंडिया के टॉप 3 रूफटॉप सोलर इंस्टालर (ऑन-साइट कैपेक्स मॉडल) के बीच एक स्थान हासिल किया है। यह ऊर्जा के लिए ब्रांड की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। समाधान और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में इसकी शक्ति पर प्रकाश डाला गया है। ब्रांड ने CY 2022 में पहली बार शीर्ष 3 की सूची में प्रवेश किया और रूफटॉप इंस्टॉलेशन लगभग 169% YoY थे। रैंकिंग और विकास हरटेक सोलर के रूफटॉप और फ्लोटिंग सोलर इंस्टॉलेशन में उत्कृष्टता के लिए अटूट समर्पण के प्रमाण हैं। 

मजबूत फोकस के साथ हो रहा कार्य

ऑन-साइट कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) मॉडल पर एक मजबूत फोकस के साथ हरटेक सोलर ने कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक संपन्न किया है, जिसमें स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में 525 किलोवाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र, चंडीगढ़ में उत्तर भारत में सबसे बड़ा 2 मेगावाट का फ्लोटिंग सौर संयंत्र शामिल है। एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने कंपनी को नंगल तालाब, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश में 22 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर पीवी पावर प्रोजेक्ट बनाने का ठेका दिया है। चालू होने पर यह परियोजना उत्तर भारत का सबसे बड़ा तैरने वाला सौर ऊर्जा संयंत्र बन जाएगा। उनकी विशेषज्ञता व्यापक एंड-टू-एंड सेवाएं प्रदान करने, डिजाइन, इंजीनियरिंग, खरीद, निर्माण और रूफटॉप सौर प्रणालियों को चालू करने में निहित है। उन्नत तकनीकों, सर्वोत्तम उद्योग प्रथाओं और एक अत्यधिक कुशल कार्यबल का लाभ उठाकर, Hartek Solar ने लगातार बेहतर गुणवत्ता और अत्यधिक दक्षता वाली परियोजनाओं को वितरित किया है।

हरटेक सोलर के संस्थापक और सीईओ, श्री सिमरप्रीत सिंह ने आभार व्यक्त किया और कहा कि हम MERCOM इंडिया द्वारा शीर्ष 3 रूफटॉप सोलर इंस्टॉलरों में से एक के रूप में पहचाने जाने पर बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। विभिन्न उद्योगों और इमारतों के लिए ईएसजी और एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करना। यह मान्यता हमारी टीम के जुनून, तकनीकी कौशल और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है। हम हरित भविष्य बनाने के लिए सौर ऊर्जा की शक्ति में विश्वास करते हैं और भारत के योगदान में गर्व महसूस करते हैं। स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य। पसंदीदा स्थिरता भाग होने के नाते, हम लगातार नवीन और विश्वसनीय सौर समाधान प्रदान करके बार बढ़ाने का प्रयास करते हैं। यह मान्यता हमें अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के अपने मिशन को जारी रखने के लिए प्रेरित करती है।

Solar Energy AC Future: यह हीटवेव के दौरान विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जब बिजली की मांग अक्सर पावर ग्रिड की क्षमता से अधिक हो जाती है, तब बिजली की सप्लाई बाधित हो जाती है। इस दौरान सोलर एनर्जी काफी मददगार साबित होती है।

AC Demand: गर्मी के दिनों में भारत का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक या उससे भी अधिक हो जाता है। उस दौरान लोगों को एयर कंडीशनर जैसे कूलिंग उपकरण की ओर रुख करने की जरुरत पड़ती है। परन्तु लोग भूल जाते हैं कि ये उपकरण काफी अधिक मात्रा में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन उत्सर्जित करते हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग में एक महत्वपूर्ण कारक है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IA) कि एक रिसर्च कि माने तो 2050 तक एसी की वैश्विक मांग इस समय की तुलना में तीन गुना तक बढ़ जाएगी। यह यकीनन सही भी जान पड़ता है, खासकर भारत, इंडोनेशिया और चीन जैसे देशों में बढ़ते तापमान को देखते हुए इससे इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले कुछ वर्षों में लोगों का रुझान सोलर एयर कंडीशनिंग सिस्टम की तरफ भी बढ़ा है। सोलर एसी न सिर्फ ठंडी हवा प्रदान करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करती हैं बल्कि हमारे जेब पर पड़ने वाले बिजली बिल के खर्चों से भी निजात दिलाती है।

क्या सौर AC बनेगा विकल्प?

सौर एयर कंडीशनिंग सिस्टम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि ये पर्यावरण के लिए हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करती हैं। एक ओर जहाँ पारंपरिक एयर कंडीशनिंग सिस्टम ऑपरेशन के लिए बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पन्न बिजली पर निर्भर करते हैं। सौर उर्जा पर काम करने वाली कंपनी एक्साल्टा इंडिया (Exalta India) के फाउंडर आशुतोष वर्मा बताते हैं कि आमतौर पर ये संयंत्र बिजली उत्पन्न करने के लिए कोयला या प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भर करते हैं। यह प्रक्रिया कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों को वातावरण में छोड़ती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होता है। जबकि दूसरी ओर सौर एयर कंडीशनिंग सिस्टम बिजली उत्पन्न करने के लिए सौर पैनलों का उपयोग करते हैं। इसके संचालन के दौरान किसी प्रकार के हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है। इस प्रकार, पारम्परिक एयर कंडीशनिंग की जगह सौर एयर कंडीशनिंग सिस्टम का उपयोग कर हम बिजली पर से अपनी निर्भरता काम कर सकते हैं और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को काफी कम कर सकते हैं।

कम ऊर्जा खपत

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के अलावा सौर एयर कंडीशनिंग सिस्टम पारंपरिक एयर कंडीशनिंग सिस्टम की तुलना में कम ऊर्जा की खपत करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सौर एयर कंडीशनिंग सिस्टम अपने संचालन के लिए पूरी तरह सौर ऊर्जा पर निर्भर करते हैं जो नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्रोत है। इसलिए सोलर एसी के उपयोग की स्थिति में हमें इसके संचालन के लिए आवश्यक ऊर्जा के लिए गैर नवीकरणीय संसाधनों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। अपने संचालन के लिए कम ऊर्जा निर्भरता के कारण सोलर एयर कंडीशनिंग सिस्टम बिजली की समग्र मांग को कम करने में हमारी मदद कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सोलर एयर कंडीशनिंग सिस्टम के महत्वपूर्ण लाभों में से एक यह है कि वे पावर ग्रिड से स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि पावर आउटेज या पावर ग्रिड में अन्य व्यवधानों के दौरान भी आपका एयर कंडीशनिंग सिस्टम काम करना जारी रख सकता है।

Defense Ministry Contract: केंद्र सरकार सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। आम जनता को सोलर एनर्जी के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। अब रक्षा मंत्रालय ने भी इसमें एंट्री ले ली है।

Solar Energy Defense Ministry: सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड ने सोमवार को कहा कि उसकी एक सहायक कंपनी को रक्षा मंत्रालय से 212 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। सोलर इंडस्ट्रीज ने शेयर बाजार को बताया कि कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड ने रक्षा मंत्रालय के साथ हथियारों की आपूर्ति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कंपनी ने कहा कि ठेका 212 करोड़ रुपये का है। सोलर समूह औद्योगिक विस्फोटकों का विनिर्माण करता है। बता दें कि केंद्र सरकार सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। आम जनता को सोलर एनर्जी के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। रूफटॉप सौर कार्यक्रम नाम से चलाई जा रही है केंद्र सरकार की इस स्कीम का फायदा आम जनता भी उठा सकती है।

मार्च 2026 तक चलेगी योजना

इस योजना का लाभ लेने के लिए आपके पास लंबा समय है, लेकिन देरी करने से आप इस मौके से चूक सकते हैं। इस योजना के लिए आप अभी से अप्लाई कर सकते हैं। यह योजना 31 मार्च 2026 तक चलेगी। इसके बाद बंद कर दी जाएगी। सरकार ने हाल ही में उपभोक्ताओं से छतों पर सौर पैनल लगाने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क न देने का आग्रह करते हुए कहा था कि ‘रूफटॉप सौर कार्यक्रम’ की अवधि 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दी गई है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि छतों पर सौर संयंत्र लगाने के लिए चलाया गया रूफटॉप सौर कार्यक्रम मार्च, 2026 तक बढ़ा दिए जाने से इसमें मिलने वाली सब्सिडी लक्ष्य पूरा होने तक मिलती रहेगी। 

तीन किलोवाट के पैनल पर 43 हजार से अधिक की सब्सिडी

तीन किलोवाट के सोलर पैनल पर सरकार 43 हजार रुपये से अधिक की सब्सिडी दे रही है। ऐसे में लोगों के पास अपने छत पर सोलर पैनल लगवाने का सुनहरा मौका है। तीन किलोवाट के सोलर पैनल से आप अपने घर में एसी, फ्रीज, कूलर, टीवी, मोटर, पंखा इत्यादि सभी कुछ चला सकते हैं। इसके लिए प्रतिमाह आपका बिल जीरो आएगा। आप अपनी बची हुई बिजली किरायेदारों या पड़ोसी को बेचकर पैसा भी कमा सकते हैं। 

योगी सरकार भी बना रही प्लान

यूपी सोलर पॉलिसी-2022 पांच साल के लिए लागू होगी। इसके तहत केंद्र से वित्तीय सहायता के अलावा, राज्य सरकार के 15,000 रुपये प्रति किलोवाट, अधिकतम 30 हजार रुपये प्रति उपभोक्ता तक के योगदान को मंजूरी दी गई है। सरकारी इमारतों और सभी शिक्षण संस्थानों को नेट मीटरिंग सिस्टम पर रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने की अनुमति दी गई है। पृथक कृषि फीडर कुसुम सी-2 के सोलराइजेशन के लिए नीति में 50 लाख रुपये प्रति मेगावॉट वायबिलिटी गैप फंडिंग का प्रावधान है। निजी ऑन-ग्रिड पंप के सोलराइजेशन के लिए मुसहर, वनटांगिया और अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 70 प्रतिशत की सब्सिडी और अन्य किसानों के लिए 60 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की गई है।

जिस तरह से योगी सरकार का सोलर एनर्जी पर फोकस है, उसके चलते भविष्य में स्थानीय स्तर पर यह युवाओं के लिए रोजगार का भी बड़ा जरिया बनेगा।

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश में किसानों की अब जमकर कमाई होगी। किसानों को दोहरा लाभ देने के लिए राज्‍य में सौर ऊर्जा से चलने वाले नलकूप लगाने पर सरकार द्वारा विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है। सौर ऊर्जा से चलने वाले नलकूप से न केवल सिंचाई खर्च कम होगा, बल्कि सौर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली से अतिरिक्त आय भी होगी। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के कम्पोनेन्ट-सी के तहत निजी ग्रिड संयोजित नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण करते हुए नेट मीटरिंग के जरिये  अतिरिक्त सौर ऊर्जा उत्पादन का लाभ देकर कृषकों की आय में वृद्धि करना प्राविधानित है।

कृषक सिंचाई के उपरान्त अतिरिक्त उत्पादित विद्युत का विक्रय राज्य की विद्युत वितरण कंपनी को कर सकेंगे। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2022 तक 30,000 निजी नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण किया जाने का लक्ष्य है। योजना का क्रियान्वयन यूपीपीसीएल ऊर्जा विभाग द्वारा किया जा रहा है। इसके तहत ग्रिड संयोजित निजी नलकूपों और अलग हो चुके कृषि विद्युत फीडर को सौर ऊर्जीकृत करने की योजना है। सोलर इनर्जी कॉरपोरेशन इंडिया द्वारा उत्तरप्रदेश पॉवर कारपोरेशन के अलग हो चुके तथा निकट भविष्य में अलग किए जाने के लिए चिन्हित फीडरों की कुल क्षमता (2742 मेगावाट) के सोलराइजेशन के लिए फ्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

जिस तरह से योगी सरकार का सोलर एनर्जी (सोलर पंप, सोलर रूफ टॉप, सोलर स्ट्रीट लाइट, सोलर पार्क, अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित करना) पर फोकस है, उसके चलते भविष्य में स्थानीय स्तर पर यह युवाओं के लिए रोजगार का भी बड़ा जरिया बनेगा। यही वजह है कि प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया अभियान को आगे बढ़ाने के लिर यूपीनेडा द्वारा मोबाइल एप आदित्य विकसित किया गया है। इस एप के जरिये प्रदेश के युवाओं को कौशल विकास मिशन की महत्वाकांक्षी योजना के अन्तर्गत सूर्य मित्र प्रशिक्षण, स्वरोजगार आदि के लिए मदद दी जाएगी।

प्रशिक्षित सूर्यमित्रों द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्रों का गुणवत्ता परक अनुरक्षण एवं क्रियाशीलता सुनिश्चित हो सकेगी। प्रदेश में अब तक 2500 से अधिक सूर्यमित्र प्रशिक्षित भी किए जा चुके हैं। सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खास दिलचस्पी है। बीते सोमवार को टीम-9 की बैठक में उन्होंने कहा था कि भविष्य की जरूरतों के मद्देनजर नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से पीएम कुसुम योजना संचालित हो रही है। इस योजना को लेकर किसानों में उत्साह है। उनके आवेदनों को प्राथमिकता के साथ निस्तारित किया जाए।